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एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग Vs एयरोस्पेस इंजीनियरिंग

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग दोनों ही एविएशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रुचि रखने वाले उम्मीदवारों द्वारा सबसे ज़्यादा चुने जाने वाले कोर्स हैं। हालाँकि, विद्यार्थी अक्सर दोनों के बीच का अंतर समझने में मुश्किल महसूस करते हैं। आइए एयरोस्पेस और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के बीच के अंतर को समझते हैं।
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग परिभाषा
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग का प्राथमिक क्षेत्र है जो एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट और संबंधित प्रणालियों और उपकरणों के डिजाइन, विकास, परीक्षण और उत्पादन से संबंधित है।
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एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग परिभाषा
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग का प्राथमिक क्षेत्र है जो एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट और संबंधित प्रणालियों और उपकरणों के डिजाइन, विकास, परीक्षण और उत्पादन से संबंधित है।
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एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग परिभाषा
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग का प्राथमिक क्षेत्र है जो एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट और संबंधित प्रणालियों और उपकरणों के डिजाइन, विकास, परीक्षण और उत्पादन से संबंधित है।
एयरोस्पेस या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में से कौन बेहतर है?
यह पूरी तरह से उस करियर पथ पर निर्भर करता है जिसे विद्यार्थी चुनना चाहतें है। यदि आप स्पेस इंडस्ट्री में करियर बनाने में रुचि रखते हैं, तो एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कोर्स करना बेहतर है। यदि आप कमर्शियल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री में काम करने में रुचि रखते हैं, तो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग चुनना बेहतर है
एयरोनॉटिकल Vs एयरोस्पेस इंजीनियरिंग: अवधि
अध्ययन के इन दोनों क्षेत्रों में उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से 4 साल की अवधि में बी.टेक पूरी करनी आवश्यक है। हालाँकि, भारत में इन डोमेन में इंजीनियरिंग को उपलब्ध कराने वाली बहुत कम यूनिवर्सिटी हैं।
एयरोनॉटिकल Vs एयरोस्पेस इंजीनियरिंग: स्कोप
भारत में इन दोनों क्षेत्रों का स्कोप बहुत ज्यादा है, क्योंकि भारत 13.1 करोड़ से अधिक यात्रियों के हवाई यातायात के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सिविल एविएशन मार्किट बनने की राह पर है।